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*( साभार प्राप्त :- श्री अनिल यादवजी , संपादक ,बेस्ट रिपोर्टर न्यूज , जयपुर )*
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ‘नेशनल फैमेली हैल्थ सर्वे—12019—21’ की 713 पेज की रिपोर्ट में प्रदर्शित आंकड़ों ने देश भर में मुस्लिमों के विरूद्ध हिन्दुओं के मन में नफ़रत व भय पैदा करने में जुटी साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा किये जाने वाले दुष्प्रचार की पोल खोल कर रख दी है।
देश के सभी नागरिकों खासकर भ्रमित व अकारण भय और नफरत में झौंके जा रहे हिन्दुओं के लिए ये आंकड़े जहाँ एक ओर चौंकाने वाले हैं वहीं दूसरी ओर ये आँकड़े राजनीतिक ताकतों के सिर्फ सत्ता प्राप्ति के मकसद से किये जाने वाले दुष्प्रचार,षड़यंत्र व फैलाए जाने वाले झूठ को बेनकाब करने वाले भी हैं।
ये आंकड़े देश की जनता को ये बात समझाने के लिए काफी हैं कि कुछ लोग सत्ता प्राप्ति के संघर्ष में जीत हासिल करने के लिए देश में लगातार झूठ व अर्धसत्य का प्रसार करके देश की एकता, अखण्डता व विकास तीनों को लगातार ख़तरे में डाल रहे हैं ।
कृपया फैलाए जा रहे मिथकों व आंकड़ों से झांकते सत्य को पहचानने की कोशिश करें तथा स्वयं को भय व नफरत से मुक्त करके देश के सभी नागरिकों से राजनीतिक दलों के बंधुआ मजदूरों की तरह नहीं एक नागरिक के रूप में प्रेम व सहयोग का वातावरण बनाने में सहयोगी बनें।
फैलाए वाले जाने वाले झूठ व आंकड़ों का सच निम्नानुसार है,कृपया अवलोकन करें :———
मिथक 1.
मुस्लिम आबादी बढ़ाने के लिए चार—चार शादियाँ करते हैं :—
आँकड़ों से झांकता सच :———
सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक मात्र 2.5 प्रतिशत मुस्लिमों ने एक से अधिक शादियाँ की हैं,इनमें भी तीन या चार शादियां करने वालों की संख्या नगण्य है। सर्वे के मुताबिक 1.7 प्रतिशत हिन्दुओं ने एक से अधिक शादियाँ कर रखी हैं। इस लिहाज से हिन्दुओं की अपेक्षा मुस्लिमों में बहुविवाह का अनुपात प्रतिशत की दृष्टि से मात्र .8 प्रतिशत अधिक है। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि हिन्दु आबादी करीब 80 प्रतिशत है और मुस्लिम आबादी करीब 15 प्रतिशत । अत: 100 करोड़ हिन्दुओं का .8 प्रतिशत 80 लाख होता है और 15 करोड़ मुस्लिमों का .8
प्रतिशत 12 लाख होता है। यानी देश में मुस्लिमों की अपेक्षा बहुविवाह करने वाले हिन्दुओं की संख्या 68 लाख अधिक है।
मिथक 2.
मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ रही है,बहुविवाह के कारण इनके 10—10 बच्चे होते हैं :—
आँकड़ों से झांकता सच :———
आबादी का आंकलन प्रजनन दर/total fertility rate (TFR) से किया जाता है , जब किसी देश में प्रजनन दर/टीएफआर 2.2 होती है यानी 100 दम्पत्ति ( स्त्री-पुरूष दोनों मिलाकर कुल 200 लोग ) मिलकर अपने जीवन काल में 220 बच्चे पैदा करते हैं तो उस देश की जनसंख्या को स्थिर माना जाता है । सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक मुस्लिमों में पहले टीएफआर 3.6 था जोकि वर्तमान में 2.36 रह गया है यानी मुस्लिमों की आबादी पहले के मुकाबले कम हो रही है वर्तमान में 100 मुस्लिम दम्पत्ति 236 बच्चे पैदा कर रहे हैं ,जहाँ तक हिन्दुओं की बात है हिन्दुओं में टीएफआर 1.94 प्रतिशत है अर्थात् 100 लोग (दम्पत्ति) 194 बच्चे पैदा करते हैं। सामान्य रूप से देखें तो मुस्लिम दम्पत्ति हिन्दुआं की अपेक्षा 42 बच्चे अधिक पैदा करते हैं लेकिन चूंकि देश में हिन्दुओं की आबादी करीब 100 करोड़ है और मुस्लिमों की आबादी करीब 15 करोड़ मात्र है यानी करीब 6 गुना अधिक है। अत: वास्तविक धरातल पर मुस्लिम आबादी को हिन्दुओं के बराबर आना हजारों वर्षो में भी सम्भव नहीं है क्यों कि मुस्लिमों में टीएफआर स्थिर जनसंख्या की टीएफआर 2.2 से मात्र .1 प्रतिशत अधिक 2.3 प्रतिशत है और भारत में मुस्लिमों की आबादी हिन्दुओं से करीब 6 गुना कम है। वैसे भी विवाह,बच्चों आदि का फैसला लोग आपनी सुविधा से करते हैं,धार्मिक व राजनीतिक नेताओं के नारों से प्रभावित होकर कोई अपना व अपनों का जीवन संकट में नहीं डालता है,क्योंकि जिम्मेदारी स्वयं को उठानी होती है,कोई नेता जीवन भर उसकी मदद नहीं कर सकता है।
मिथक 3.
मुस्लिमों में बाल विवाह अधिक होता है :—
आँकड़ों से झांकता सच :———
बाल विवाह के मामले में राष्ट्रीय औसत आयु 18.8 वर्ष है । यदि हम हिन्दु व मुस्लिम दोनों की बात करें तो दोनों में विवाह की औसत आयु 18.7 वर्ष है । जैनों में विवाह की औसत आयु 22.7 वर्ष , ईसाईयों में 21.7 वर्ष, सिक्खों में 21.2 वर्ष और बौद्धों में 19.1 वर्ष है।
मिथक 4.
मुस्लिमों में खून के रिश्तों में विवाह होता है :—
आँकड़ों से झांकता सच :———
खून के रिश्तों में विवाह ना तो सभी मुस्लिमों में होता और ना केवल मुस्लिमों में ही होता है। खून के रिश्तों में विवाह मात्र 15 प्रतिशत मुस्लिमों में होता है,85 प्रतिशत मुस्लिमों में ऐसा नहीं होता है। इतना ही नहीं 10 प्रतिशत हिन्दुओं में, 11 प्रतिशत ईसाईयों एवं 15 प्रतिशत बौद्धों में भी खून के रिश्तों में विवाह किया जा रहा है। इसलिए इस मुद्दे को सिर्फ मुस्लिमों से जोड़ना भी ठीक नहीं है।
मिथक 5.
मुस्लिमों में महिला शिक्षा की उपेक्षा की जाती है :—
आँकड़ों से झांकता सच :———
इस मामले में भी हिन्दु व मुस्लिम दोनों में कोई खास अंतर नहीं है। सर्वे के अनुसार मुस्लिम बालिका औसतन चार साल तीन माह तथा हिन्दु बालिका औसतन चार साल नौ महीने स्कूल में गुजारती है। पुरूषों में भी ये अंतर बहुत अधिक नहीं है मुस्लिम बालक औसतन पाँच साल चार महीने स्कूल में गुजारता है वहीं हिन्दु बालक सात साल छ: महीने स्कूल में गुजारता है। प्रतिशत को भुलाकर यदि हम धरातल पर आबादी की बात करेंगें तो हिन्दुओं में महिला व पुरूषों शिक्षा की स्थिति अधिक चिंताजनक है।
मिथक 6.
मुस्लिमों में मनाही के बावजूद खूब शराब पी जाती है :—
आँकड़ों से झांकता सच :———
शराब पीने वालों के मामले में राष्ट्रीय औसत 23 प्रतिशत है । सर्वे के मुताबिक मात्र 6 प्रतिशत मुस्लिम ही शराब का सेवन करते हैं जबकि हिन्दुओं में ये दर 18.7 प्रतिशत, ईसाईयों में 36 प्रतिशत,सिक्खों में 30 प्रतिशत,जैनों में 22.7 प्रतिशत एवं बौद्धों में 29 प्रतिशत है। स्पष्ट है कि देश में सबसे कम शराब यदि कोई पीता है तो वो हैं मुस्लिम ।
( सम्पूर्ण रिपोर्ट लिंक : https://drive.google.com/file/d/1cN26V9ZEO2k3A2XJt2IQJfsBRBFIP8B1/view?usp=drive_link )
शुभेच्छु !
अनिल यादव
सम्पादक,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज
अध्यक्ष,सतपक्ष पत्रकार मंच।
अध्यक्ष, जन सम्प्रभुता संघ।
9414349467