वन महोत्सव का अर्थ है “पेड़ों का त्यौहार”। यह त्यौहार लोगों में पेड़ों के प्रति जागरूकता पैदा करता है और पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने की आवश्यकता को दर्शाता है, क्योंकि पेड़ ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने और प्रदूषण को कम करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक हैं। वन महोत्सव को जीवन के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। क्योकी पेड हमें शुद्ध प्राणवायू प्रदान करते हैं|भारत में, इसे धरती माता को बचाने के लिए एक आंदोलन के रूप में शुरू किया गया था। इसकी शुरुआत जुलाई 1947 में दिल्ली में एक समृद्ध वृक्षारोपण अभियान शुरू होने के बाद हुई, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे राजकीय नेताओं ने भाग लिया। यह त्यौहार भारत के कई राज्यों में एक साथ मनाया जाता है। तब से, स्थानीय लोगों और वन विभाग जैसी विभिन्न फर्मों के सक्रिय समर्थन से विभिन्न प्रजातियों के कई पौधे लगाए जाते हैं।
महानायक, भारत माता के थोर सुपुत्र महाराष्ट्र राज्य के माजी मुख्यमंत्री हरित क्रांती के जनक, आ.वसंतराव नाईक इनके जन्मदिवस पर महाराष्ट्र में १जुलाई को हर साल वन महोत्सव का आरंभ होता है| राज्य के कोने कोने में यह हरित वन महोत्सव सप्ताह मनाया जाता है|इस साल भी वन महोत्सव मनाकर पर्यावरण के हित में अपना योगदान दें| आवों सब मिलजुलकर प्राकृतिक धरोवर की रक्षा कर,वसुंधरा को हरा-भरा बनाते है|
पेडों से हमारा गहरा है नाता
आज की परिस्थिती वृक्ष दाता|
डाॅ. मंदा पडवेकर चंद्रपूर.